Lucknow : ’’आप जब यह सोंचते हैं कि आपकी तरक्की से लोगों को ईर्षा होती है तब आप कभी भी सच्ची सफलता प्राप्त नहीं कर सकते और जब आप यह समझते हैं कि लोग आपको सफल होते देखना चाहते हैं तब आप अवश्य सफल हो जाते हैं।’’
’’सफलता आपकी शवनात्मक सोंच का परिणाम है।’’ लोगों को अपनी सफलता में सहभागी बनाने का इकलौता उपाय है कि आप सम्पूर्ण समाज के लोगों को अपना हितैषी मानकर उनसे प्रेम करे। कभी भी आप यह न सोंचे कि कोई आपकी सफलता के मार्ग में बाधक बन रहा र्है। वास्तव में दूसरों के विषय में जब आप
’’जब आप यह सोंचते हैं कि लोग आपकी सफलता से ईर्षा, द्वेष कर रहें हैं तब आप प्रतियोगिता की अवस्था में आ जाते हैं।’’ ऐसा करके आप नकारात्मक लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इस प्रकार की उर्जा आपके जीवन में ऐसे ही लोगों को लाकर खड़ा कर देती है। तब उन लोगों से तरह तरह के आलोचनात्मक तर्को को सुनने के लिए मजबूर हो जाते हैं। परिणाम स्वरूप आपका आत्मविश्वास टूटकर बिखर जाता है। हर कोई आपका शत्रु नजर आता है। आप जिधर भी जाते हैं उधर आपको वैसे ही लोग मिलते हैं और कोई आपको दुःखी करने वाली कोई न कोई बात अवश्य कहता है।
’’जब आप यह सोंचते हैं कि लोग आपकी सफलता से खुश हैं तब आप सृजनात्मक अवस्था में पहुँच जाते हैं और सकारात्मक उर्जा उत्पन्न करने लगते हैं। ’’रचनात्मकता के अभाव में सफलता अनिश्चित हो जाती हैं" जैसे कि आप राष्ट्रप्रेम के कारण विदेशों की नीतियों का विरोध करते हैं तब तुलनात्मक दृस्टिकोंण से प्रतियोगिता की अवस्था में हैं इसलिए आपके मन में घुटन, नफरत, ईर्षा क्रोध के विचार चल रहें हैं अतः आपकी सफलता अनिष्चित हो जाती है।’’ परन्तू जब आप विश्व समाज के कल्याण के विषय में सकारात्मक विचार रखते हैं तब आपको सफल बनाने लिए ब्रहमाण्ड की सारी अच्छी शक्तियाँ आपके साथ आ जायेंगी और आपकी सफलता निश्चित हो जायेगी।
आप बार बार इस भवना को प्रबल बनायें कि विश्व के सारे लोग आपको समृद्वशाली, शक्तिशाली एवं सम्पन्न देखना चाहते हैं जिसमें आपके परिवार के सारे सदस्य एव मित्र, पडोसी, रिश्तेदार शामिल हैं। तब आपके जीवन में अद्भुत चमत्कारिक परिवर्तन होंगे। आपको इस भावना में शुभ एवं प्रेम के विचार को अवश्य ही निवेश करना है अर्थात सब अपने हैं कोई पराया नहीं है। जिस क्षण आप ऐसे विचारों को आप अपने मन में पैदा करेंगे उसी क्षण सम्पूर्ण संसार की अच्छी शक्तियाँ जागृत होकर आपके लिए कार्य करना प्रारम्भ कर देंगीं। आपको मालूम ही नहीं होगा कि आप कब सफल हो गये।
इस प्रयोग को आप अभी से प्रारम्भ कर सकते हैं क्योंकि किसी भी अच्छी चीज की शुरूआत करने के लिए कोई भी आदर्श समय नहीं होतां । इसलिए आप अभी शुरू करें और अभी फायदा पायें। इनके परिणामों से आप हैरान रह जायेंगे।
विश्व के देशों के साथ भी यही नियम काम करता है। जब कोई देश स्वयं को दूसरे देशों से उपर उठाने के लिए उनको हराने या नीचा दिखाने की भावना से कार्य करता है तब उस देश की जनता को अनेकों समस्याओं जैसे महंगाई, घूस, भ्रष्टाचार इत्यादि का सामना करना पडता ही है। अतः यदि अपने देश को समृद्वशाली बनाना चाहते हैं तो दूसरे देशों को अपना शत्रु नहीं मित्र समझें।
’प्रतियोगिता में आप दूसरों को हराने की भावना से काम करते हैं।’ अतः आप वास्तव में स्वयं में हारने की उर्जा भर रहें हें और इसलिए आपको जीतने पर भी वास्तविक खुशी नहीं मिल पाती है क्योंकि आपको जितनी खुशी जीतने में नहीं मिलती उससे ज्यादा खुशी दूसरों के हारने में होती है क्योंकि दूसरों को हराने के लिए आपने खेल में भाग लिया था।
आपके आस-पास कार्य-व्यवहार में यदि नकारात्मक विचारों वाले लोगों की संख्या ज्यादा है तो उनको आपने उत्पन्न किया है। क्योंकि आप यही सोंचते हैं कि लोग आपसे ईर्षा करते हैं, लोग आपको आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते। लेकिन यह सब मात्र आपकी नकारात्मक सोंच है। सच्चाई यह है कि लोग आपको सफल होते देखकर खुश होते हैं और आपको आगे बढने के लिए हर प्रकार की आर्थिक, वैचारिक मद्द भी करते हैं। आप इस विचार को अपने मन में स्थापित कर ली
’’सफलता आपकी शवनात्मक सोंच का परिणाम है।’’ लोगों को अपनी सफलता में सहभागी बनाने का इकलौता उपाय है कि आप सम्पूर्ण समाज के लोगों को अपना हितैषी मानकर उनसे प्रेम करे। कभी भी आप यह न सोंचे कि कोई आपकी सफलता के मार्ग में बाधक बन रहा र्है। वास्तव में दूसरों के विषय में जब आप
’’रचनात्मकता के अभाव में सफलता अनिश्चित हो जाती हैं।\" ’’जब आप यह सोंचते हैं कि लोग आपकी सफलता से खुश हैं तब आप सृजनात्मक अवस्था में पहुँच जाते हैं और सकारात्मक उर्जा उत्पन्न करने लगते हैं।’’ सब अपने हैं कोई पराया नहीं है। जिस क्षण आप ऐसे विचारों को आप अपने मन में पैदा करेंगे उसी क्षण सम्पूर्ण संसार की अच्छी शक्तियाँ जागृत होकर आपके लिए कार्य करना प्रारम्भ कर देंगीं।
सोंचतें हैं कि वे आपके लिए बाधाऐं उत्पन्न कर रहें हैं, तब आपकी ओर नकारात्मक उर्जा आकर्षित होकर आपके कार्यों में अड़चनें पैदा करेंगी क्योंकि आपके चारों ओर जो आभामण्डल फैली हुई है उसे आप सकारात्मक अथवा नकारात्मक उर्जा में अपनी सोंच के अनुसार बदल सकते हैं।
’’जब आप यह सोंचते हैं कि लोग आपकी सफलता से ईर्षा, द्वेष कर रहें हैं तब आप प्रतियोगिता की अवस्था में आ जाते हैं।’’ ऐसा करके आप नकारात्मक लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इस प्रकार की उर्जा आपके जीवन में ऐसे ही लोगों को लाकर खड़ा कर देती है। तब उन लोगों से तरह तरह के आलोचनात्मक तर्को को सुनने के लिए मजबूर हो जाते हैं। परिणाम स्वरूप आपका आत्मविश्वास टूटकर बिखर जाता है। हर कोई आपका शत्रु नजर आता है। आप जिधर भी जाते हैं उधर आपको वैसे ही लोग मिलते हैं और कोई आपको दुःखी करने वाली कोई न कोई बात अवश्य कहता है।
’’जब आप यह सोंचते हैं कि लोग आपकी सफलता से खुश हैं तब आप सृजनात्मक अवस्था में पहुँच जाते हैं और सकारात्मक उर्जा उत्पन्न करने लगते हैं। ’’रचनात्मकता के अभाव में सफलता अनिश्चित हो जाती हैं" जैसे कि आप राष्ट्रप्रेम के कारण विदेशों की नीतियों का विरोध करते हैं तब तुलनात्मक दृस्टिकोंण से प्रतियोगिता की अवस्था में हैं इसलिए आपके मन में घुटन, नफरत, ईर्षा क्रोध के विचार चल रहें हैं अतः आपकी सफलता अनिष्चित हो जाती है।’’ परन्तू जब आप विश्व समाज के कल्याण के विषय में सकारात्मक विचार रखते हैं तब आपको सफल बनाने लिए ब्रहमाण्ड की सारी अच्छी शक्तियाँ आपके साथ आ जायेंगी और आपकी सफलता निश्चित हो जायेगी।
आप बार बार इस भवना को प्रबल बनायें कि विश्व के सारे लोग आपको समृद्वशाली, शक्तिशाली एवं सम्पन्न देखना चाहते हैं जिसमें आपके परिवार के सारे सदस्य एव मित्र, पडोसी, रिश्तेदार शामिल हैं। तब आपके जीवन में अद्भुत चमत्कारिक परिवर्तन होंगे। आपको इस भावना में शुभ एवं प्रेम के विचार को अवश्य ही निवेश करना है अर्थात सब अपने हैं कोई पराया नहीं है। जिस क्षण आप ऐसे विचारों को आप अपने मन में पैदा करेंगे उसी क्षण सम्पूर्ण संसार की अच्छी शक्तियाँ जागृत होकर आपके लिए कार्य करना प्रारम्भ कर देंगीं। आपको मालूम ही नहीं होगा कि आप कब सफल हो गये।
इस प्रयोग को आप अभी से प्रारम्भ कर सकते हैं क्योंकि किसी भी अच्छी चीज की शुरूआत करने के लिए कोई भी आदर्श समय नहीं होतां । इसलिए आप अभी शुरू करें और अभी फायदा पायें। इनके परिणामों से आप हैरान रह जायेंगे।
विश्व के देशों के साथ भी यही नियम काम करता है। जब कोई देश स्वयं को दूसरे देशों से उपर उठाने के लिए उनको हराने या नीचा दिखाने की भावना से कार्य करता है तब उस देश की जनता को अनेकों समस्याओं जैसे महंगाई, घूस, भ्रष्टाचार इत्यादि का सामना करना पडता ही है। अतः यदि अपने देश को समृद्वशाली बनाना चाहते हैं तो दूसरे देशों को अपना शत्रु नहीं मित्र समझें।
’प्रतियोगिता में आप दूसरों को हराने की भावना से काम करते हैं।’ अतः आप वास्तव में स्वयं में हारने की उर्जा भर रहें हें और इसलिए आपको जीतने पर भी वास्तविक खुशी नहीं मिल पाती है क्योंकि आपको जितनी खुशी जीतने में नहीं मिलती उससे ज्यादा खुशी दूसरों के हारने में होती है क्योंकि दूसरों को हराने के लिए आपने खेल में भाग लिया था।
आपके आस-पास कार्य-व्यवहार में यदि नकारात्मक विचारों वाले लोगों की संख्या ज्यादा है तो उनको आपने उत्पन्न किया है। क्योंकि आप यही सोंचते हैं कि लोग आपसे ईर्षा करते हैं, लोग आपको आगे बढ़ते नहीं देखना चाहते। लेकिन यह सब मात्र आपकी नकारात्मक सोंच है। सच्चाई यह है कि लोग आपको सफल होते देखकर खुश होते हैं और आपको आगे बढने के लिए हर प्रकार की आर्थिक, वैचारिक मद्द भी करते हैं। आप इस विचार को अपने मन में स्थापित कर ली
जिए आप पायेंगे कि आप व्यक्तिगत, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक एवं राजनीतिक हर क्षेत्र में सफल हो रहे हैं।
’’जब आप यह सोंचते हैं कि हर कोई आपके साथ है तब आप और आपका समाज विकास कर रहे होते हैं।’’
प्रेरक गुरू एवं लेखक. एस एन प्रजापति
अध्यक्ष. ब्रायन टेरेसी प्रेरक समिति
पता 541 G/19 ग्रीन सिटी नया हैदरगंज
लखनऊ 226003
मो0 9451946930
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प्रेरक गुरू एवं लेखक. एस एन प्रजापति
अध्यक्ष. ब्रायन टेरेसी प्रेरक समिति
पता 541 G/19 ग्रीन सिटी नया हैदरगंज
लखनऊ 226003
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