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श्री सत्य नारायण (Motivational Speaker, Writer & Healer)
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क्या आप अपने परिवार के सदस्यों के साथ क्रोध में बातें करते हैं?

Penulis : Satya Narayan on Tuesday 30 July 2013 | 03:04

Lucknow :  अगर इस प्रश्न का जवाब हाँ में है तो सावधान हो जाइए क्योंकि कि यह जवाब आपके सम्पूर्ण चरित्र को ही नहीं अपितु सम्पूर्ण जीवन को ही नष्ट करने वाला है । आपके दिन की शुरुआत आपके घर के सदस्यों से होती है आज का पूरा दिन सुबह के व्यवहार पर निर्भर है । इसलिए यदि आपने अपने सुबह को सर्वश्रेष्ठ बना लिया तो आपका सारा दिन अधिकतम अच्छा व्यतीत हो सकता है। आपने यदि अपनी पत्नी को क्रोध के वश में होकर कुछ कहा तो आपका यह नकारात्मक व्यवहार आपकी पत्नी को दुखी करने के लिए पर्याप्त है

’’महत्वपूर्ण यह नहीं कि परिवार ने आपको क्या दिया अपितु महत्वपूर्ण यह है कि आपने परिवार को क्या दिया।’’ जिस तरह मकान पति-पत्नि एवं बच्चों के बिना घर नहीं बन सकता उसी तरह पुरुष पत्नी के बिना पति नहीं बन सकता। पारस्परिक मधुर सम्बन्ध बनाये रखने के लिए पति-पत्नि में मधुर सम्बन्धों का आवश्यक होता है अन्यथा परिवार टूटते देर नहीं लगती ।राज्य के राजा को दार्शनिक होना चाहिए अथवा दार्शनिक को ही राजा बनाना चाहिए। आप सबसे पहले अपने परिवार के साथ प्रेम से बातें करने की कला विकसित करें।
जिसके कारण आपकी पत्नी पूरे दिन नकारात्मक ऊर्जा के प्रभाव में समय व्यतीत करेगी जिसके प्रभाव से आप स्वयं को बचा नहीं सकते। क्योंकि घर में अन्य कार्यों के साथ आपके द्धारा कहे कड़वे शब्दों को भी मन में दोहराने का कार्य कर रही हैं। यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया है कि मस्तिष्क के अन्दर कहीं न कहीं आपकी बातें घूमती रहेगी और बार बार मन को दुखी करती रहेगी जिसकी ऊर्जा आप तक पहुँचकर आपको भी परेशान करेगी । आप अपने ऑफिस में ही इन बातों से परेशान रहेंगे और आपकी पत्नी घर में परेशान रहेगी। 

अब आप घर की उलझनों के कारण ऑफिस में परेशान हो जाते हैं लेकिन आप स्पष्ट रूप से यह नही समझ पाते हैं कि आपकी वास्तविक समस्या क्या है। परिणाम स्वरूप आप अपने ऑफिस के कर्मचारियों से भी छोटी छोटी बातों पर लड़ने झगड़ने पर ऊतारू हो जाते हैं। वही नकारात्मक ऊर्जा दोनों के साथ टकराती रहती है और एक दूसरे को लड़ाती रहती है। जिसके कारण आप घर में आते ही पत्नी से और आपकी पत्नी आपसे किसी न किसी बात को लेकर एक दूसरे से व्यंगात्मक शब्दों का प्रयोग करना शुरू कर देतें हैं। 

हमारे मस्तिस्क की संरचना ही कुछ इस तरह हुई है कि उसमें जब तक आप सोंच कर कोई नया विचार नहीं ड़ालेगें तब तक वही पुरानी बातें घूमकर बार-बार आतीं रहेंगी और आप समझ ही नहीं पायेंगे कि आप क्यों परेशान और उलझे हुऐ हैं। इन सब नकारात्मक विचारों के बुरे प्रभावों से बचने के लिए एक ही कारगर उपाय है कि आप उसकी जगह पर कोई भी एक अच्छी बात को स्थापित कर दें जो आपको सबसे प्रिय हो । जैसे अपने जीवन की सबसे अच्छी घटना जो आपको हर बार ख़ुशी देती हो अर्थात आपके लक्ष्य से सम्बन्धित कोई ऐसी बात जिसके लिए आपने सपने देखें हैं और उसका पूरा होना निश्चित हो चूका हो । आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आपने किसी ऐसे लक्ष्य को अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण कार्य माना है उसका पूरा होना निश्चित है। क्योंकि दिल की गहराईयों से चाही गई वस्तु अवश्य प्राप्त हो जाती है । इसलिए आप अपने उस विचार के स्थान पर इस नये विचार को रख कर मात्र इस नयी बात को ही याद रखिए और फिर परिणाम देखिए । आपका वह नकारात्मक विचार कब गायब हो जायेगा आप समझ ही नहीं पायेंगे । 

जब आप उस घटना के लिए स्वयं के साथ -साथ दूसरों को भी माफ कर देंगे तब आपके भीतर से वह नकारात्मक विचार स्वतः ही निकल जायेगी और आप तनावरहित व्यवहार कर पाएंगे। उस अवस्था में आप अपनीं पत्नी के साथ बिताये सबसे अच्छे पलों को याद करना शुरू कर दें। आप पायेंगे कि आप अच्छा महसूस करने लगे हैं तथा आपके रिश्तों में दरार पड़ने से भी बच जायेगी। 

’’जिस तरह मकान पति-पत्नि एवं बच्चों के बिना घर नहीं बन सकता उसी तरह पुरुष पत्नी के बिना पति नहीं बन सकता।’’ किसी भी घर के सदस्यों में पारस्परिक मधुर सम्बन्ध बनाये रखने के लिए पति-पत्नि में मधुर सम्बन्धों का आवश्यक होता है अन्यथा परिवार टूटते देर नहीं लगती । प्लेटो नामक यूनानी दार्शनिक ने आदर्श राज्य की कल्पना में लिखता है कि ’राज्य के राजा को दार्शनिक होना चाहिए अथवा दार्शनिक को ही राजा बनाना चाहिए।’’ कहने का तात्पर्य है कि घर का मुखिया यदि अज्ञानी है तो उसमें नैतिक मूल्यों की समझ कम होगी इसलिए वह अपने परिवार के सदस्यों के साथ उचित न्याय नहीं कर पायेगा और वह अपनी के साथ भी अत्याचारी व्यवहार करता रहेगा । परिणाम स्वरूप यदि वह घर का मुखिया है घर को और देश का मुखिया है तो देश को तोड़ देगा । क्योंकि उसमें सकारात्मक और नकारात्मक कार्यों की समझ ही पूरी तरह विकसित नहीं होगी। इसलिए वह अपने साथ-साथ अपने परिवार के सदस्यों के जीवन को भी बर्बाद करने को कारण बनेगा। 

अतः आप सबसे पहले अपने घर को सम्भालने का कार्य सही ढ़ग से करना सीख लें और अपने परिवार के साथ प्रेम से बातें करने की कला विकसित करें। आप यदि प्रेम पूर्वक व्यवहार करते है तो आपके घर में ख़ुशी, शान्ति, समृद्धि एवं दौलत स्वतः ही चलकर आयेगी । क्योंकि घर की लक्ष्मी स्त्री ही होती है और जिस घर में स्त्री का सम्मान होता है उस घर में किसी भी चीज की कमी नहीं होती है । पत्नी के साथ-साथ परिवार या समाज के सदस्यों के भी प्रेम से बातें करें । आपका जीवन सफल हो जायेगा । 

’’महत्वपूर्ण यह नहीं कि परिवार ने आपको क्या दिया अपितु महत्वपूर्ण यह है कि आपने परिवार को क्या दिया।’’

एस.एन. प्रजापति
अध्यक्ष- ब्रायन ट्रेसी प्रेरक समिति
पता 541ग/19 ग्रीन सिटी नया हैदरगंज
लखनऊ 226003
मो0 9451946930
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