Lucknow : आप जिन्दगी के बारे में जितना समझने की कोशिश करेंगे उतना ही कम है। आपके जिन्दगी का कोई मोल नहीं है क्योंकि यह अनमोल है। आपके जीवन का एक-एक पल कीमती है इसे व्यर्थ के कार्यों में खर्च न करें ।
इस जिन्दगी से आप ढ़ेर सारी उम्मीदें करते हैं लेकिन क्या कभी यह सोंचा है कि हमने इस जिन्दगी को क्या दिया? जिन्दगी ने हमें जो कुछ भी दिया है क्या हम उसकी कीमत को कभी चुका सकते है? सच्चाई यह है कि आपको अपने स्तर से परिवर्तन करने की जरूरत है न कि दूसरों से।
बीज वृक्ष को कभी नहीं बदल सकता है उसे स्वयं को बदलना पड़ता है। क्योंकि बीज को वृक्ष बनने में आनन्द तभी आयेगा जब वह अच्छे पेड़ों के सम्पर्क में रहेगा।
जिस प्रकार एक पौधे की कीमत नहीं लगाई जा सकती उसी प्रकार एक बालक एवं बालिका की कीमत नहीं लगाई जा सकती ।’’
जब आप यह स्वीकार करेंगे कि सम्पूर्ण समाज आपसे किसी न किसी रूप में जुड़ा हुआ है तो आपको आपके जीवन का वास्तविक मतलब समझ में आने लगेगा और आपकी सोंच में बड़ा परिवर्तन आयेगा। सोंच में छोटा परिवर्तन हो या बड़ा परिवर्तन हो, बदलाव आपके जीवन मे अवष्य होगा। कुछ ही समय में आप पायेंगे कि आपके कार्य-व्यवहारों
जब सब एक हैं तो भेदभाव क्यों ? क्या स्त्री होना अभिशाप है? इस जिन्दगी से आप ढ़ेर सारी उम्मीदें करते हैं लेकिन क्या कभी यह सोंचा है कि हमने इस जिन्दगी को क्या दिया? बीज को वृक्ष बनने में आनन्द तभी आयेगा जब वह अच्छे पेड़ों के सम्पर्क में रहेगा। जिस प्रकार एक पौधे की कीमत नहीं लगाई जा सकती उसी प्रकार एक बालक एवं बालिका की कीमत नहीं लगाई जा सकती ।’
में परिवर्तन आने लगा है।
अपने आप से एक प्रष्न पूछकर देखिए कि आपको उसका क्या जबाव मिलता है। पूछिए कि मैं इस धरती पर क्यों आया हूँ? क्या मात्र खाने-पीने और भोग-विलास करके वापस चले जाना है? क्या आपको मालूम है कि आप कहाँ से आए थे और कहाँ चले जाएँगे?
मात्र आप इन प्रष्नों के जबाव ढूँढिए तब आपको आपके जीवन के विषय में कुछ रहस्यों की जानकारी होगी। आपको समझ में आएगा कि हर कोई आपका अपना है कोई आपसे अलग नहीं है। क्योंकि हम सब एक ही ऊर्जा से बने हुए हैं। इसलिए हमारे द्धारा होने वाली क्रिया-प्रतिक्रिया लगभग एक समान होतीं हैं।
जब सब एक हैं तो भेदभाव क्यों ? क्या स्त्री होना अभिशाप है? अगर नहीं तो स्त्री का अपमान पुरुषों द्वारा क्यों? आखिर हम क्यों दूसरों को अपने से छोटा समझने की मूर्खता करते है? क्या हम दूसरों को छोटा और खुद को बड़ा समझने से बड़े बन जाते हैं? क्या हम बिना कर्तव्य किये अधिकार लेने की बात कर सकते है? और यदि करते हैं तो दुर्योधन को वह अधिकार क्यों नही मिल गया?
इस जिन्दगी से आप ढ़ेर सारी उम्मीदें करते हैं लेकिन क्या कभी यह सोंचा है कि हमने इस जिन्दगी को क्या दिया? जिन्दगी ने हमें जो कुछ भी दिया है क्या हम उसकी कीमत को कभी चुका सकते है? सच्चाई यह है कि आपको अपने स्तर से परिवर्तन करने की जरूरत है न कि दूसरों से।
बीज वृक्ष को कभी नहीं बदल सकता है उसे स्वयं को बदलना पड़ता है। क्योंकि बीज को वृक्ष बनने में आनन्द तभी आयेगा जब वह अच्छे पेड़ों के सम्पर्क में रहेगा।
जिस प्रकार एक पौधे की कीमत नहीं लगाई जा सकती उसी प्रकार एक बालक एवं बालिका की कीमत नहीं लगाई जा सकती ।’’
एस एन प्रजापति
मो 9451946930
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