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दूसरे आपसे वही सम्मान चाहते हैं जो सम्मान आप दूसरों से चाहते हैं.

Penulis : Satya Narayan on Tuesday 30 July 2013 | 02:09

लखनऊ :  हर कोई सम्मान का भूखा होता है। यदि कोई व्यक्ति स्वयं का अपमान कराता है अथवा अपमान चाहता है तो इस संसार में उससे बड़ा अभागा दूसरा कोई इन्सान नहीं होगा। कोई भी व्यक्ति किसी भी स्तर का हो। लेकिन वह किसी न किसी रूप में वह अपने लिए सम्मान चाहता है। 

आत्म सम्मान ही वह एक ऐसा जीवन मूल्य है जिसको पाने और बढ़ाने के लिए लोग सम्पूर्ण जीवन प्रयत्नशील रहते हैं। परन्तु मानसिक विकारों के कारण उनके द्धारा कुछ ऐसे असामाजिक व्यवहार हो जाते हैं जिसके फलस्वरूप वे समाज की नज़रों में अपमानित होते हैं। इसलिए उनका व्यवहार

आपको सम्मान चाहिए तो सम्मान दीजिए, धन चाहिए तो धन दीजिए। आप दूसरों को जो देंगे वही आपको भी मिलेगा। आप दूसरों को अपमान देंगे तो आपको भी अपमान ही मिलेगा। ’’आपको आपके अधिकार ही मिलते हैं क्योंकि आपके अपने कर्त्तव्य होते हैं।’’
उनके चरित्र को प्रकट करता है। आपको सम्मान चाहिए तो सम्मान दीजिए। धन चाहिए तो धन दीजिए। आप दूसरों को जो देंगे वही आपको भी मिलेगा। आप दूसरों को अपमान देंगे तो आपको भी अपमान ही मिलेगा। इसलिए आप दूसरों को भरपूर सम्मान दीजिए। ऐसा करते समय यह अहसास करवाने की जरूरत नहीं है कि आप लोंगो का सम्मान करते हैं। क्योंकि यह दिखावा आपके जीवन को खोखला कर देगी। और आप कभी भी प्रशंसनीय कार्यों को सफल ढ़ंग से नहीं कर पायेंगे।
मान लीजिए कि आपके घर कुछ लोग अचानक बिना किसी सूचना के ही आ जाते हैं। लेकिन उनकी मजबूरी है कि वे किसी जरूरी कार्य से कुछ दिनों के लिए रूकेंगे। पुनः वापस चले जायेंगे। ऐसी स्थिति में आपको चाहिए कि आप उनकी भरपूर मदद करें। क्योंकि वे आपके पास इसी उम्मीद से आयें हैं और आपके अच्छे चरित्र की पहचान यहीं से होती है कि आप उनकी सहायता करके उनका सम्मान बढ़ायें।
जरा सोंचिए कि आप उनके स्थान पर होते तो आप क्या चाहते? निष्चित रूप से ऐसी स्थिति में आप उनसे मात्र सम्मान चाहते। इसलिए आपको चाहिए कि आप भी उनके साथ वही व्यवहार करें जो आप अपने प्रति उनसे चाहते हैं। जब आप उनको वही चीज दे पायेंगे जो उनको इस समय चाहिए तो यकीन करें कि आप सफलता की श्रेणी में हैं।
सन्तुलन आपके भीतर से बाहर की तरफ जाती है, इसलिए जब आप लोंगो के साथ वही व्यवहार कर पाने में सफल होते हैं तब आपके जीवन में अनेकों प्रकार से शान्ति के संसाधन एकत्रित होने लगते हैं। ऐसा करके सम्पूर्ण ब्रहृमाण्ड को आप शुभ भावनाएँ भेज रहें हैं और आप यह भी अच्छी तरह जानते हैं कि यह मात्र अपने लिए कर रहें हैं। क्योंकि इस संसार की हर चीज आपसे जुड़ी हुई है। अतः आप जो करते हैं वही चीज कई गुना होकर आपके ही पास आती है।
चूँकि अधिकतम् प्राप्ति का रहस्य यह है कि आप लोंगो को किसी भी रूप में जो कुछ भी दे सकते हैं वह देने की हर सम्भव कोशिश करते रहें। आपको देखकर हैरानी होगी कि आपके जीवन में हर वो वस्तु स्वयं ही चलकर आने लगती है जिसकी आपको जरूरत होती है। आपके मन में स्वस्थ एवं सकारात्मक विचारों का होना जरूरी है। आपको बाहर दिखाने की जरूरत नहीं है अपितु अपने मन के भीतर उन शुभ भावना को विकसित करने की जरूरत है जो आप स्वयं अपने प्रति चाहते हैं। अर्थात् हर बार अपने विचारों में खुशी की ऊर्जा को बढ़ाते रहने की प्रक्रिया से स्वयं को गुजारते रहें। बाहरी कार्य-व्यवहारों में आपको करने की जरूरत नहीं पड़ेगी। यहाँ तो हर कार्य स्वतः ही होते चले जायेंगे और लोग आपको बेहद पसन्द करेंगे। उनका आपके प्रति खुशनुमा विचार ही आपको सकारात्मक ऊर्जा देते रहेंगे और आप लगातार उत्साहित होते रहेंगे।
जो लोग आपके पास आयें हैं वो आपके ऊपर बहुत भरोसा एवं विष्वास करके आयें हैं। आप सौभाग्यशाली हैं कि लोंगो ने आपको इस योग्य समझा है। क्या आप अपनी योग्यता को बनाये रखना चाहेंगे? आपके चरित्र की परख यहीं पर होने वाली है। इसलिए आप जितना हो सके अधिक से अधिक उनकी मद्द करने की कोशिश करें। ऐसा करने से आपको जो खुशी मिलेगी वह अनमोल होगी।
आपका जीवन इसीलिए तो बना है कि आप दूसरों की मदद करते हुए अपनी मदद करने की कला विकसित कर लें और सफल हो जायें। आपके पास आने वाले लोंगो को मात्र एक ही चीज चाहिए और वह है उनका आदर। आपके किसी भी व्यवहार से उनको यह न लगे कि वे आप पर बोझ बन गये हैं। इसलिए आप उनके साथ सर्वश्रेस्ठ व्यवहार करें।
’’आपको आपके अधिकार ही मिलते हैं क्योंकि आपके अपने कर्त्तव्य होते हैं।’’
प्रेरक गुरू एवं लेखक - एस0एन0प्रजापति
अध्यक्ष. ब्रायन ट्रेसी प्रेरक समिति
मो0-9451946930, 7505774581
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13 September 2016 at 03:25

very nice sir ham jiski respect karte hai wo bhi hamari respect karta hai

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