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श्री सत्य नारायण (Motivational Speaker, Writer & Healer)
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आप हर किसी से सहायता प्राप्त कर सकते हैं.

Penulis : Satya Narayan on Tuesday 30 July 2013 | 02:17




Lucknow :  हर किसी से आपको कोई न कोई मदद अवश्य मिलती है। यह प्रकृति का नियम है। क्योंकि इस श्रष्टि की हर वस्तु एक दूसरे से परस्पर निर्भर हैं। इसलिए आपके सम्पर्क में रहने वाले समस्त लोंगो को आपके विसय में लगभग सब कुछ पता होता है। आप अपनी सच्चाई किसी को बताएं या न बताएं लेकिन उनको जानकारी हो ही जाती है। 

प्रेरक वक्ता एवं लेखक.एस एन प्रजापति
मो- 9451946930, 7505774581

कुछ मामलों में आप किसी से मदद माँगने में संकोच कर सकते हैं। लेकिन आप उन लोंगो से अपनी इस समस्या को नहीं छिपा सकते हैं जो आपकी फिक्र करते हैं। उनको आपकी जरूरतों के विषय में पता

सफल व्यक्ति मात्र उन कार्यों को करना अपनी नियति बना लेते हैं जिन्हें करने से सम्पूर्ण समाज को लाभ होता हो। वे हर उस कार्य को करने से स्वयं को बचाते हैं जिनसे नकारात्मक परिणाम प्राप्त होने वाले हों।
चल जायेगा। और वे आपकी मदद इस तरह कर देंगे कि आपका आत्मसम्मान बना रहे। अर्थात् आपके सम्मान को बनाये रखते हुए ही कोई मदद करेंगे। जिससे आपको यह न महसूस हो कि आप उनके मदद के कारण हीनता का अहसास कर रहें हैं। क्योंकि वे लोग आपके सम्मान में कोई कमी नहीं देखना चाहते हैं।
कुदरत के रहस्यों को समझने वाले यह अच्छी तरह जानते हैं कि उनको अपनी मदद कैसे करनी चाहिए। खुद को सफल बनाने के लिए वे दूसरों को सफल बनाने की कला विकसित कर लेते हैं। लोंगो को उनके लक्ष्यों तक पहुँचाना ही उनका लक्ष्य बन जाता है।
ऐसे लोग जो सफल होते हैं। वे हर बार अपने सम्पर्क में आने वाले को कोई न कोई फायदा अवश्य ही पहुँचाते हैं। वे यह नहीं सोंचते हैं कि उनके द्धारा किये गये कार्यों से जो फायदा दूसरों को हुआ है। उसका श्रेय उन्हें मिल जाये अथवा इस भावना से वे किसी कार्य को नहीं करते कि मदद लेने वाला उनका अहसानमन्द हो जाए। वे निःस्वार्थ एवं शुद्ध भावना से दूसरों की मदद करने में अपना सौभाग्य समझते हैं। ऐसा कार्य करने वालें को प्रकृति किसी न किसी रूप में वह सब कुछ देती है जो उसको उसके लक्ष्य तब पहुँचने में मदद करें।
सफल व्यक्ति मात्र उन कार्यों को करना अपनी नियति बना लेते हैं जिन्हें करने से सम्पूर्ण समाज को लाभ होता हो। वे हर उस कार्य को करने से स्वयं को बचाते हैं जिनसे नकारात्मक परिणाम प्राप्त होने वाले हों।
लोंगो से आपको तब तक माँगने की जरूरत नहीं है। जब तक आपको उस वस्तु की सख्त अवश्यक्ता महसूस न हो। एक सीमा तक आप स्वयं को सम्भाल कर रखें। इस सीमा को पार करने की अवस्था में आने पर ही किसी से मदद माँगने के लिए कदम बढ़ाएँ। इसके पहले आप किसी से मदद माँगे आपको किसी न किसी के द्धारा मदद मिल ही जायेगी।
प्राकृतिक नियम के अनुसार हर व्यक्ति को अपनी मदद करने की क्षमता होती है। और वह अपनी मदद स्वयं ही कर सकता है। जो स्वयं की मदद करने की कला जानते हैं वे प्रकृति के नियमों को अच्छी तरह समझते हैं और वही सफल भी होते हैं। जिस तरह कुछ लोग मदद लेने के लिए सोंचते हैं उसी तरह कुछ लोग मदद देने के लिए सोंचते हैं और करते भी हैं। 
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26 January 2014 at 05:23

Aapke vicharon ko padna aachha lagata hai.

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